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भारत सरकार शून्य बजट प्राकृतिक खेती के लिए क्यों और किस तरह से बढ़ावा दे रही है

भारत सरकार शून्य बजट प्राकृतिक खेती के लिए क्यों और किस तरह से बढ़ावा दे रही है

भारत के अंदर शून्य बजट प्राकृतिक खेती (जेडबीएनएफ) टिकाऊ एवं फायदेमंद दोनों होने की क्षमता रखती है। हालांकि, बहुत सारे कारक इसकी सफलता और लाभप्रदता को प्रभावित करते हैं। लागत-मुनाफा अनुपात के मुताबिक, यह दीर्घकाल में तभी फायदेमंद हो सकता है। जब एक स्थापित मूल्य श्रृंखला के साथ बड़े स्तर पर किया जाए और लघु स्तरीय किसानों के लिए इससे उबरना कठिन साबित होगा।

ZBNF के तहत स्थिरता

ZBNF जैविक कृषि पद्धतियों, मृदा संरक्षण एवं जल प्रबंधन पर विशेष ध्यान केंद्रित करता है, जो दीर्घकालिक स्थिरता में सहयोग प्रदान करता है। रासायनिक आदानों को खत्म करके, ZBNF मृदा के स्वास्थ्य, जैव विविधता एवं पारिस्थितिक संतुलन को प्रोत्साहन देता है। यह बाहरी इनपुट पर निर्भरता को कम करता है, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करता है एवं कृषि प्रणाली में भी काफी सुधार करता है।

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ZBNF के अंतर्गत लागत में बचत

ZBNF के मुख्य सिद्धांतों में से एक बाहरी इनपुट को समाप्त करना और लागत को कम करना है। स्थानीय तौर पर उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल करके और प्राकृतिक कृषि तकनीकों को अपनाकर, किसान रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों एवं बीजों के खर्च को कम अथवा समाप्त कर सकते हैं। इससे वक्त के साथ महत्वपूर्ण लागत बचत हो सकती है, जिससे कृषि कार्यों की लाभप्रदता बढ़ सकती है।

मृदा स्वास्थ्य एवं पैदावार में सुधार

ZBNF प्रथाएं मल्चिंग, कम्पोस्टिंग एवं इंटरक्रॉपिंग जैसी तकनीकों के माध्यम से मृदा की उर्वरता में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित करती हैं। ये विधियाँ मिट्टी की संरचना, जल-धारण क्षमता एवं पोषक तत्वों की विघमानता को बढ़ाती हैं, जिससे फसल की पैदावार में सुधार होता है। बढ़ी हुई उत्पादकता एवं लाभप्रदता पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। विशेष कर यदि किसान उन बाजारों तक पहुंच सकते हैं, जो जैविक पैदावार को पहचानते हैं और प्रीमियम का समय से भुगतान करते हैं।

ZBNF के अंतर्गत स्वास्थ्य जोखिम और इनपुट निर्भरता में कमी

रासायनिक कीटनाशकों एवं उर्वरकों को समाप्त करके, ZBNF कृषकों एवं उपभोक्ताओं के लिए उनके इस्तेमाल से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों को कम करता है। यह महंगे बाहरी इनपुट पर निर्भरता को भी काफी कम करता है, जिससे खेती का काम ज्यादा आत्मनिर्भर और मूल्य में उतार-चढ़ाव के प्रति सहज हो जाता है।

ZBNF के अंतर्गत जैविक उपज की बाजार मांग

भारत और विश्व स्तर पर जैविक एवं रसायन-मुक्त उत्पादों की मांग बढ़ती जा रही है। ZBNF इस बाजार प्रवृत्ति के साथ संरेखित होता है, जिससे किसानों को प्रीमियम बाजारों में प्रवेश करने और अपनी जैविक उपज के लिए उच्च मूल्य प्राप्त करने का अवसर प्राप्त होता है। हालाँकि, इन बाजारों तक पहुँचना एवं प्रभावी ढंग से स्थिरता कायम करना एक चुनौती हो सकती है, और लाभप्रदता सुनिश्चित करने के लिए बाजार संपर्क विकसित करने की जरूरत है।

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ZBNF के अंतर्गत ज्ञान और क्षमता निर्माण

ZBNF के सफल कार्यान्वयन के लिए किसानों को पर्याप्त ज्ञान और प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। आवश्यक प्रशिक्षण, तकनीकी सहायता और ज्ञान-साझाकरण मंच प्रदान करने के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम, सरकारी सहायता और कृषि संस्थानों और गैर सरकारी संगठनों की भागीदारी महत्वपूर्ण है। ZBNF प्रथाओं में सूचना, अनुसंधान और नवाचारों तक पहुंच स्थिरता और लाभप्रदता को और बढ़ा सकती है।

भारत सरकार शून्य बजट प्राकृतिक खेती को इस तरह से प्रोत्साहन दे रही है

सरकार प्राकृतिक खेती समेत पारंपरिक स्वदेशी प्रथाओं को प्रोत्साहन देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) की एक उप-योजना के रूप में 2020-21 के दौरान चलाई गई भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (बीपीकेपी) के जरिए प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन दे रही है। यह योजना विशेष रूप से समस्त सिंथेटिक रासायनिक आदानों के बहिष्कार पर बल देती है। साथ ही, बायोमास मल्चिंग, गाय के गोबर-मूत्र फॉर्मूलेशन के इस्तेमाल और अन्य पौधे-आधारित तैयारियों पर विशेष जोर देकर खेत पर बायोमास रीसाइक्लिंग को प्रोत्साहन देती है। बीपीकेपी के अंतर्गत क्लस्टर निर्माण, क्षमता निर्माण एवं प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा निरंतर सहायता, प्रमाणन एवं अवशेष विश्लेषण के लिए 3 सालों के लिए 12,200 रुपये प्रति हेक्टेयर की वित्तीय सहायता मुहैय्या कराई जाती है।

प्राकृतिक खेती के तहत 4.09 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल को कवर किया गया है

कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, प्राकृतिक खेती के अंतर्गत 4.09 लाख हेक्टेयर रकबे को कवर किया गया है। आपकी जानकारी के लिए बतादें कि देश भर के 8 राज्यों को कुल 4,980.99 लाख रुपये का फंड जारी किया गया है। जबकि ZBNF में टिकाऊ और लाभदायक होने की क्षमता है, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि परिणाम स्थानीय कृषि-जलवायु स्थितियों, फसल चयन, बाजार की गतिशीलता, किसानों के कौशल और संसाधनों तक पहुंच जैसे अहम कारकों के आधार पर अलग हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, ZBNF में परिवर्तन के लिए प्रारंभिक निवेश, मिट्टी के स्वास्थ्य की बहाली के लिए समय और किसानों के लिए सीखने की स्थिति की जरूरत हो सकती है। हालाँकि, उचित कार्यान्वयन, समर्थन एवं बाजार संबंधों के साथ, ZBNF भारत में एक टिकाऊ एवं लाभदायक कृषि मॉडल प्रस्तुत कर सकता है।
एक फरवरी  2024 को पेश किया जायेगा बजट किसानों को मिल सकती है , बड़ी खुशखबरी

एक फरवरी 2024 को पेश किया जायेगा बजट किसानों को मिल सकती है , बड़ी खुशखबरी

संसद में 1 फरवरी  2024 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा अंतरिम  बजट पेश किया जायेगा , माना जा रहा है किसानों को इस बजट से बड़ी सौगात मिल सकती है। इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव की वजह से पूर्ण बजट नयी सरकार के गठन के बाद पेश किया जायेगा। इससे पहले प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में अंतरिम बजट 2019 में पेश किया गया था। तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली के  स्वास्थ्य खराब होने पर उनका अतिरिक्त कामकाज संभाले हुए पियूष गोयल ने अंतरिम बजट पेश किया था ,साथ ही 2019 के बजट में संसद द्वारा कई बड़े ऐलान भी किये गए। 

पीएम किसान योजना की बढ़ सकती है राशि 

पीएम किसान सम्मान निधि योजना की घोषणा 2019 के अंतरिम बजट में की गयी थी। इस योजना के अंदर 2 हेक्टेयर तक भूमि वाले किसानों को प्रतिवर्ष 6000 रुपए की राशि  तीन किस्तों में प्रदान की जाएगी। इस योजना में 12 करोड़ से ज्यादा छोटे और सीमान्त किसानों को सम्मिलित किया गया था। फरवरी  2024 में पेश होने वाले बजट में इस राशि को 9000 प्रति वर्ष कर दिया जायेगा। आने वाले बजट में यह उम्मीद जताई जा रही है , पी एम किसान सम्मान निधि की किस्ते बढ़ाई जा सकती है , जो किसानों के लिए किसी बड़ी खुशबरी से कम नहीं है। 

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इसी के चलते सरकार द्वारा महिला सम्मान निधि की राशि भी दुगुनी हो सकती है। साथ ही महिलाओं को लोन भी अन्य की तुलना में 1% की कम दर से प्रदान किया जायेगा। बताया जा रहा है कि महिला किसान की सम्मान निधि की राशि बढ़कर 12000 की जा सकती है। साथ ही महिलाओं किसानों को लोन प्रदान करने के लिए सरकार क्रेडिट कार्ड की भी सुविधाएं प्रदान करा सकती है। 

किसानों के लिए हेल्थ और लाइफ इंस्युरेन्स की भी कर सकते है घोषणा 

लोकसभा चुनाव को देखते हुए मोदी सरकार ने किसानों के लिए बनाई गयी किसान सम्मान निधि योजना में 50 फीसदी राशि बढ़ाने के लिए तो कहा है ,साथ ही संसद में पेश होने वाले बजट में किसानों के लिए स्वास्थ्य और लाइफ इंस्युरेन्स की भी घोषणा की जा सकती है। 

स्टीडफास्ट न्यूट्रिशन के संस्थापक अमन पूरी ने कहा भारत केवल जीडीपी का 21 स्वास्थ्य देखवाल के लिए उपयोग करता है, जो की विश्व औसत 6% से काफी कम है। हाल ही में बहुत सी नए बीमारियों की खोज की गयी है , जो बहुत ही घातक साबित हुई है , जिनके लिए धन की भी आवश्यकता है। 

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इन बीमारियों को रोकने के लिए नए ढाँचे की आवश्यकता है। ऐसे में सरकार को स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च बढ़ाने की आवश्यकता है।

10 लाख से ज्यादा वेतन वाले कर्मचारियों को मिलेगी छूट 

एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में बताया जा रहा है , जिन कर्मचारियों की आय 10 लाख से ऊपर है उन्हें कर भुगतान में राहत मिल सकती है। साथ ही इससे बहुत से बिज़नेस और स्टार्टअप को भी कर भुगतान पर  छूट मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। इनकम टैक्स के मामले में सरकार बड़ी खुशबरी प्रदान कर सकती है। फिलहाल चर्चा में यही है कि 10 लाख से अधिक आय वाले कर्मचारियों को टैक्स भुगतान में राहत मिल सकती है। 

कृषि  क्षेत्र के लिए सरकार कर सकती है ये फैसला 

गुरुवार को पेश किये जाने वाले बजट से लोगो को बहुत उम्मीद है। कृषि सेक्टर के लोगो को इस बजट से बहुत सी आशाएँ है। उनका मानना है 20 लाख रुपए के कृषि लोन से , उच्च लक्ष्य प्राप्त करने पर जोर दिया जाना चाहिए । इसमें किसानों को नयी मशीनरी और प्रौधोगिकी को अपनाकर उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जाए। उत्पादन बढ़ेगा तो किसान का तो विकास होगा ही साथ ही अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। 

जानिए भाजपा और कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्रों में किसानों के लिए क्या-क्या ऐलान किए हैं ?

जानिए भाजपा और कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्रों में किसानों के लिए क्या-क्या ऐलान किए हैं ?

चैत्र की छठी देवी माँ कात्यायनी एवं बाबा साहेब अंबेडकर के जन्मोत्स्व पर लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर भाजपा ने अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है। कांग्रेस अपना घोषणा पत्र पहले ही जारी कर चुकी है। 

आज हम आपको बताएंगे कांग्रेस और भाजपा द्वारा अपने घोषणापत्र में किसानों के लिए क्या-क्या बड़ी घोषणाएं की गई हैं। 

भाजपा ने किसानों से एमएसपी में वृद्धि, तीन करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने सहित बहुत सारे अन्य वादे किए हैं। 

भाजपा के घोषणा पत्र में किसानों के लिए भी कई बड़े ऐलान किए गए हैं। किसानों के लिए की गई घोषणाओं को 'किसानों का सम्मान-मोदी की गारंटी' नाम दिया गया है। 

भाजपा ने किसानों से एमएसपी में बढ़ोतरी, तीन करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने समेत कई अन्य वादे किए हैं। आइए आपको विस्तार से बताते हैं की भाजपा ने अपने घोषणापत्र में किसानों के लिए क्या-कुछ ऐलान किए हैं। 

किसानों के लिए कांग्रेस की क्या-क्या गारंटी है ?

  1. MSP को स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले के तहत कानूनी दर्ज़ा देने की गारंटी। 
  2. किसानों के ऋण माफ़ करने और ऋण माफ़ी की राशि निर्धारित करने के लिए एक स्थायी ‘कृषि ऋण माफ़ी आयोग’ बनाने की गारंटी। 
  3. बीमा योजना में परिवर्तन कर फसल का नुकसान होने पर 30 दिनों के भीतर सीधे बैंक खाते में भुगतान सुनिश्चित करने की गारंटी। 
  4. किसानों के हित को आगे रखते हुए एक नई आयात-निर्यात नीति बनाने की गारंटी। 
  5. कृषि सामग्रियों से GST हटा कर किसानों को GST मुक्त बनाने की गारंटी। 

भाजपा ने किसानों के लिए क्या-क्या घोषणाएं की गई हैं ?

भाजपा के घोषणापत्र के अनुसार, किसानों का सम्मान व सशक्तिकरण भाजपा की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। भाजपा बीते दस वर्षों में सॉइल हेल्थ कार्ड, सूक्ष्म सिंचाई, फसल बीमा, आसानी से बीज की उपलब्धता जैसी विभिन्न नीतियों एवं पीएम किसान सम्मान योजना के अंतर्गत सीधे उनके खातों में वित्तीय सहायता प्रदान करके किसानों को मजबूत बनाया है। भाजपा ने एमएसपी में भी निरंतर बढ़ोतरी की है। भाजपा आगे भी अपने किसान परिवारों की आय को बढ़ाने के लिए कार्य करेगी।

पीएम किसान योजना से किसानों को करेंगे मजबूत: किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत 6,000 रुपये की वार्षिक वित्तीय सहायता दी जाती है। किसानों को निरंतर वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए भाजपा आगे भी कार्य करेगी। 

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पीएम फसल बीमा योजना में मजबूती:  फसल के नुकसान का शीघ्र और सही मूल्यांकन, समयबद्व भुगतान और किसानों की समस्याओं का शीघ्र समाधान सुनिश्चित करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाएगा। 

एमएसपी में बढ़ोतरी: प्रमुख फसलों के लिए एमएसपी में अभूतपूर्व वृद्धि के साथ आगे भी समयबद्ध तरीके से एमएसपी में वृद्धि को जारी रखा जाएगा। 

दाल और खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता: भारत को दाल (जैसे अरहर, उड़द, मसूर, मूंग और चना) और खाद्य तेल (जैसे सरसों, सोयाबीन, तिल और मूंगफली) के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अन्नदाताओं को समृद्ध बनाया जाएगा। 

सब्जी उत्पादन और स्टोरेज के लिए नए क्लस्टर बनेंगे: अन्नदाताओं को आवश्यक कृषि इनपुट प्रदान करके पौष्टिक सब्जियों की पैदावार बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। साथ ही टमाटर, आलू, प्याज आदि जैसी जरूरी सब्जियों की पैदावार के लिए नवीन क्लस्टर निर्मित किए जाएंगे। इन क्लस्टर्स में भंडारण और वितरण की सुविधाएं भी प्रदान की जाएगी।